Tuesday, March 22, 2022

Coal in Open Wagon: मालगाड़ी पर खुले में क्यों ले जाते हैं कोयला, चोरी का रिस्क होने के बावजूद क्यों उठाते हैं ऐसा कदम?

भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशों में कोयला ओपन वैगन यानी खुले डिब्बे में ही ढोया जाता है। भारत में कोयले की अधिकतर ढुलाई रेलगाड़ी से ही होती है। चाहे वह देश में कोयले के खदानों से निकाला गया कोयला हो या फिर विदेश से लाया गया। उसे खदानों से या फिर बंदरगाहों से बिजली घर या कारखानों तक मालगाड़ी के जरिए ही ढोया जाता है। आपने गौर किया होगा कि इन मालगाड़ियों के डिब्बे ओपन यानी खुले होते हैं।

इन्हें रेलवे की भाषा में बॉक्स एन वैगन कहा जाता है। रेलवे यह जानता है कि ऐसे खुले में कोयला ले जाने से चोरी का रिस्क भी होता है लेकिन इसके बावजूद भी रेलवे यह कदम उठाने को मजबूर होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस ओपन वैगन में कोयला ट्रांसपोर्ट करने का लॉजिक क्या है? इस वीडियो में आप जानेंगे इस सवाल का जवाब...

कोयले को खदान से निकालने के बाद उसे पिट हेड पर लाया जाता है। वहीं कोयले का स्टॉक यार्ड बना होता है। वहां माल गाड़ी को लाकर यार्ड में लगा दिया जाता है। वहीं वैगनों में कोयले को डाला जाता है। मालगाड़ी में कोयले की लोडिंग बुलडोजर से होती है या फिर मशीन से। खुले वैगन में इनसे लोडिंग आसान होती है। अगर वैगन बंद हो तो उसमें लोडिंग में ही काफी वक्त लग जाता है।

जब ओपन वैगन में कोयले की ढुलाई होती है तो उसके चोरी होने का डर रहता है। जहां कोयले से भरी मालगाड़ी रूकती है, अक्सर चोर वैगन के उपर चढ़ जाते हैं। फिर कोयले के बड़े-बड़े टुकड़े मालगाड़ी से नीचे फेंक देते हैं। इससे कोयला ढुलवाने वालों को नुकसान होता है। यही नहीं, बरसात होने की स्थिति में ओपन वैगन होने से कोयला भीग भी जाता है। तब भी कोयले की ढुलाई ओपन वैगन में ही होती है।

जब कोयले लदी मालगाड़ी बिजली घर पहुंच जाती है तो वहां ओपन वैगन से कोयला उतारना भी आसान होता है। अधिकतर जगह ऐसी व्यवस्था होती है कि मालगाड़ी जहां खड़ी होती है, वहीं मशीनों से कोयले से लदा हुआ बॉक्स बगल में ही पलट दिया जाता है। वैगन ओपन होने की वजह से कोयला मिनटों में खाली हो जाता है। यदि वैगन बंद हो तो उससे कोयला उतारने में काफी समय लग जाता है।

कोयला एक अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है। इसमें आग आसानी से पकड़ता है। कोयला ओपन वैगन में ढोये जाने का मुख्य कारण आग से बचाव भी है। यदि कोयले में आग लगती है तो ओपन वैगन में यह आसानी से देखा जा सकता है। कई बार होता है कि वैगन में जैसे ही धुआं दिखा, उस की सूचना तुरंत रेल प्रशासन को दे दी जाती है। इससे बचाव आसान हो जाता है।




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