ग्वालियर
कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने नगर निगम प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों की कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण मौत हुई है। उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर कॉज ऑफ डेथ में कोविड-19 नहीं लिखा जा रहा है, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं। जबकि उनका इलाज कोरोना का ही चला है। लेकिन मरने से ठीक एक या दो दिन पहले अचानक उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है और फिर मृतक के परिजन नगर निगम के अधिकारियों के चक्कर लगाते घूमते हैं।इसी को लेकर विधायक ने स्थानीय बाल भवन में जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र अधिकारी को जमकर खरी-खोटी सुनाई है।
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उनका कहना है कि जो लोग अपने परिजनों को खो चुके हैं, उनके मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में नगर निगम के अधिकारी टालम टोली कर रहे हैं। वहीं, चिकित्सक भी मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। जबकि वे इलाज शुरू से कोरोना का ही कर रहे थे। ऐसे ही कुछ लोगों को जब स्टेडियम के नजदीक स्थित बाल भवन में जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा के प्रभारी प्रदीप श्रीवास्तव ने लौटाया तो वे कांग्रेसी विधायक प्रवीण पाठक के पास पहुंच गए। विधायक पाठक ने लोगों की समस्या समझने के लिए खुद बाल भवन पहुंचे और प्रभारी से पूछताछ की। जन्म प्रमाण पत्र शाखा के अधिकारी ने बिना डॉक्टरी रिपोर्ट के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना लिखने से आपत्ति जताई। इसके लिए उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला दिया। इस पर विधायक पाठक ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम और कमिश्नर शुभम वर्मा को फोन लगाकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करके लोगों को जन्म प्रमाण पत्र की समस्या से शाम तक अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
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उन्होंने ने कहा कि लोग अपने परिजनों को खोने के बाद वैसे ही परेशान हैं। उसके ऊपर नगर निगम का रवैया उन्हें और ज्यादा परेशान कर रहा है। इसलिए जिन लोगों का कोरोना का इलाज चला है, उनकी मृत्यु का कारण कोरोना लिखा जाए। दरअसल, प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि कोरोना से मृत्यु पर लोगों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके घर का मुख्य कर्ताधर्ता ही इस बीमारी की भेंट चढ़ गया है।
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