उज्जैन
सालों चली आ रही परंपरा का रक्षाबंधन पर उज्जैन में फिर से निर्वहन किया गया है। रक्षाबंधन पर सबसे पहली राखी महाकाल को बांधी गई है। इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर में भगवान भोले का भव्य श्रृंगार किया गया था। भस्मारती से पहले विधि-विधान के साथ महाकाल को राखी बांधी गई है। साथ ही उन्हें 11 हजार लड्डुओं का भोग लगाया गया है। भगवान भोलेनाथ के दिव्य रूप को देखकर लोग अचंभित थे।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में 'गुटबाजी', सरगुजा में एक राजीव भवन का दो बार कटा फीता
इसके साथ ही महाकाल मंदिर के करीब गणेश मंदिर भी रक्षाबंधन मनाया गया है। भगवान के लिए राखी विदेश से भी आई थी। महाकाल को राखी पुजारी के घर की महिलाएं बांधती हैं। पूरे सावन महीने में ये महिलाएं व्रत रखती हैं। राखी बांधने के बाद महाकाल के प्रसाद से ही व्रत खोलती है। पुजारी के घर की महिलाएं वहां जाकर महाकाल को राखी भेंट करती हैं।
एमपी में पूर्व एमएलए प्रत्याशी की गुंडागर्दी, युवक के साथ अमानवीयता की हदें पार कीं
वहीं, दूसरी महिलाएं भी आज बाबा को राखी भेंट करती थीं। कोरोना की वजह से लगातार यह दूसरा साल है, जब बाहर की महिलाएं बाबा को राखी भेंट नहीं कर रही हैं। दरअसल, बाबा की भस्मारती ब्रह्म मुहूर्त में होती है। उन्हें राखी भस्मारती से पहले बांधी जाती है। इसलिए कहा जाता है कि महाकाल को राखी सबसे बांधी जाती है।
from न्यूज़ - वीडियो - Navbharat Times https://ift.tt/3D6hQsU
No comments:
Post a Comment