Saturday, May 29, 2021

पोकरण: गैस सिलेंडर महंगा हुआ, कोरोना में तंगी बढ़ी तो 80% ने 'उज्जवला' छोड़ फिर से चूल्हा अपनाया

जैसलमेर। देश में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रहणीयों को 5 साल पहले चूल्हे के धुंये से मुक्ति दिलाने के लिये शुरू हुई प्रधानमंत्री उज्जवला योजना राजस्थान के जैसलमेर में दम तोड़ रही है। 'स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन' के नारे के साथ केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना के तहत देश में भले ही 8 करोड़ से अधिक परिवारों तक गैस सिलेंडर पहुंचाने के दावे किये जा रहे हों लेकिन जिले के पोकरण में 80 प्रतिशत परिवार इससे मुंह मोड़ चुके हैं। इसके पीछे वजह महंगाई हो या कोरोना काल में बेरोजगारी या आर्थिक तंगी, लेकिन अब बीपीएल और जरूरतमंद ग्रहणीयां उसी पुराने चूल्हे और उसके से निकले वाले धुंये में खुद को झोंकने को विवश हैं।
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बढ़ती मंहगाई, गैस के दामों में बढ़ोतरी और सब्सिडी नहीं मिलने से गरीब परिवार वापस लकड़ी के चूल्हों की ओर लौट आए हैं। पोकरण में प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना की बुरी गत है। गरीब लोग लकड़ी के चूल्हे जलाने पर मजबूर हैं। जिन लोगों ने उज्जवला योजना के तहत कनेक्शन प्राप्त किए थे उनमें से 80% लोग गैस सिलेंडर रिफिल ही नहीं करा रहे हैं।
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इस बारे में पोकरण गैस एजेंसी संचालक ने इसके पीछे कई वजह गिनाई। इनमें सिलेंडर की कीमत का 50 से 60% तक बढ़ना, मिलने वाली सब्सिडी में 3 गुना गिरावट आना और इन सबसे बड़ी वजह पिछले डेढ़ साल से कोरोना माहामारी के कारण काम धंधे बंद होना है।

ग्रामीण इलाकों के परिवार पहले की भांति ही लकड़ियां जलाकर चूल्हे पर पर अपना खाना पका रहे हैं। पोकरण गैस एजेंसी संचालक सुषमा विश्नोई ने बताया कि पोकरण गैस एजेंसी के द्वारा उज्जवला योजना के तहत 9700 कनेक्शन दिए हुए हैं जिनमें से 20% लोग ही गैस रिफिल कराते हैं तथा 80% लोगों ने तो गैस रिफिल कराना बंद ही कर दिया है।
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कोरोना काल में 14 महीने से सब्सिडी बंद होने पर गैस सिलेंडर के भाव 523 से बढ़कर 813 रुपये होने से कई उज्जवला योजना के तहत कनेक्शन लेने वाले लोगों ने सिलेंडर लेना बंद कर दिया है।


उज्जवला योजना के एक लाभार्थी ने बताया कि इस कोरोनाकाल में हम गरीब लोगों के पास पैसा नहीं है कि खाना भी खाया जाए फिर गैस भी इतनी मंहगी हो गई है कि गैस रिफिलिंग नहीं करवाई जा सकती। इसलिए मजबूरी में वापस चूल्हों की ओर लौट आए हैं।




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