Thursday, July 29, 2021

तो दशकों पीछे चला जाएगा देश... स्‍कूल पर एक्‍सपर्ट ऐसा क्यों बोले?

मुंबई/नई दिल्‍ली
भारत में अगर स्कूल्स नहीं खोले गए तो देश दशकों पीछे चला जाएगा? आखिर एक्सपर्ट ऐसी बातें क्यों कह रहे हैं? IIT बॉम्‍बे के प्रफेसर भाष्‍करन रमन का कहना है कि हम कई राज्‍यों में बहुत ज्‍यादा ड्रॉपआउट्स देख रहे हैं। एक देश के तौर पर, स्‍कूलों से हमारा यह अलगाव हमें दशकों पीछे ढकेल देगा। सिर्फ ग्रामीण और शहरी गरीबों का ही नुकसान नहीं हो रहा, रईस परिवारों के बच्‍चों को भी मानसिक स्‍तर पर गंभीर परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

प्रफेसर भाष्‍करन ने कहा कि अधिकतर स्‍टूडेंट्स का पूरा-पूरा साल बर्बाद हो चुका है और अगर यह एक साल और चला तो आने वाली पीढ़‍ियों के साथ बड़ा अन्‍याय होगा। शिक्षाविदों का कहना है कि देशभर के ज्‍यादातर स्‍कूल पिछले 16 महीनों से बंद चल रहे हैं। जबकि स्‍कूल फिर से खोलने के पक्ष में वैज्ञानिकों की राय भी आ चुकी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना कहीं जाने वाला नहीं, ऐसे में वो वक्‍त शायद कभी ना आ पाए जब जीरो केस हों। 50 से ज्‍यादा शिक्षाविदों ने महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली और कर्नाटक के मुख्‍यमंत्रियों को 'ओपन लेटर' में यही लिखा है। चिट्ठी लिखने वालों में आईआईटी बॉम्‍बे, आईआईटी दिल्‍ली और दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के प्रफेसर्स के अलावा डॉक्‍टर्स, वकील और पैरंट्स शामिल हैं। '

ओपन लेटर' में इन्‍होंने कहा है कि स्‍कूल बंद रहने से पढ़ाई का नुकसान तो हो ही रहा है, बच्‍चे मानसिक तनाव झेल रहे हैं। उनकी सोशल स्किल्‍स कम हो गई हैं और उनका आत्‍मविश्‍वास कम होने लगा है।

'ओपन लेटर' में स्‍कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की योजना सुझाई गई है। सरकारों से कहा गया है कि जिन इलाकों में पॉजिटिविटी कम है, वहां स्‍कूल खोले जाएं। शिक्षाविदों का सुझाव है कि 'सेकेंडरी स्‍कूल खोलने से पहले प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्‍कूल खोलने की संभावनाओं पर विचार किया जाए। स्‍कूल स्‍टाफ को प्राथमिकता पर वैक्‍सीन दी जाए, शुरुआत में स्‍टूडेंट्स के छोटे ग्रुप को हफ्ते में एक या दो बार क्‍लासेज के लिए बुलाया जाए। प्रॉपर वेंटिलेशन जरूर हो।




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