नमिता कुमारी, पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया में कुछ महिलाओं (Purnia Woman Night Class) ने वह कारनामा कर दिखाया है जो आज सबके जुबां पर है। अनूप नगर बेलौरी महादलित टोला की 100 से अधिक महिलाएं दिनभर खेतों में मजदूरी करने के बाद शाम की पाठशाला चलाकर ककहरा और एबीसीडी सीख रही हैं। कल तक शिक्षा से कोसों दूर यह महिलाएं अब अंग्रेजी में ही अपना परिचय देती हैं और कहती है माई नेम इज ममता, माय नेम इज छठिया देवी। वे कहती हैं कि वह पढ़ेंगी तभी तो उनके बच्चे पढ़ेंगे। इस बदलाव के पीछे भी एक बड़ी रोचक कहानी है।
शाम की पाठशाला के संस्थापक शशि रंजन कहते हैं कि 2015 में उन्होंने शाम की पाठशाला की स्थापना की थी। पूर्णिया में साक्षरता दर (Purnia Literacy Rate) काफी कम थी तो उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं यहां की महिलाओं को साक्षर बनाया जाए। इसके लिये उन्होंने सबसे पहले बेलोरी के अनूप नगर महादलित टोला में महिलाओं से मुलाकात की और उन्हें साक्षरता का महत्व समझाया। इसमें कुछ महिलाएं पढ़ने के लिए तैयार हुईं और फिर कारवां बढ़ता गया। देखिए पूर्णिया से खास रिपोर्ट।
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